Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -17-Jun-2022

सुनो.....
बहुत बार महसूस किया है मैंने...
कुछ अंदर है मेरे,
बहुत अंदर
जहां तक शायद मैं खुद भी नहीं पहुंच पाता
जहां तक रौशनी नहीं जाती,
जहां तक कोई नहीं जाता
अचानक से ज़हन में महक उठता है

मैं समझ जाता हूँ कि वो तुम हो
न जाने दिन में कितनी बार
मेरी धड़कने तेज़ कर देती हो तुम
मुझे पता है कि तुम नहीं हो,
फिर भी ढूंढने लगता हूँ तुमको
यूँ लगता है कि
कहीं मेरी रूह में घुल चुकी हो जैसे
लगता है कि जैसे कुछ बोल रही हो
लगता है कि जैसे मैं कुछ सुन रहा हूँ
एक बात कहूँ--
मेरे अंदर से कभी जुदा मत होना
बस महसूस होती रहना यूँ ही,
मेरी हर साँस में
ताकि तुम कभी इस ज़िन्दगी से परे मिलो
तो तुमसे कह सकूँ
हाँ, वो जो अंदर कभी कभी महक जाता था न,
वो तुम ही तो थीं...

समझ रही हो ना तुम....


   37
8 Comments

Pallavi

18-Jun-2022 09:21 PM

Nice

Reply

Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:50 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Swati chourasia

18-Jun-2022 08:02 AM

बहुत खूब 👌

Reply